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सौम्यता की प्रतिमूर्ति एवं सहज वैदुष्य: वीरभद्र कार्कीढोली

 सौम्यता की प्रतिमूर्ति एवं सहज वैदुष्य: वीरभद्र कार्कीढोली  जयन्ति ते सुकृतिनो रससिद्धाः कवीश्वराः। नास्ति येषां यशः काये जरामरणजं भयम्।। अर्थात यशः काय विद्वान्, साहित्यकार और विशिष्ट वैदुष्य एवं सौम्यता से संपूरित व्यक्तित्व के प्रतिमान वीरभद्र कार्कीढोली, एक ऐसे तपोनिष्ठ व्यक्तित्व की प्रतिमूर्ति हैं जिनमें कवि सदृश भावुक मन की स्निग्धता और सौहार्दपूर्ण आद्रता के साथ-साथ स्वाभिमान और आत्मसम्मान की प्रगल्भता विद्यमान है। आपकी उदात्त ज्ञानपरक परिचर्चा से सहयोगी और साथी हमेशा चकित तथा प्रमुदित होते होंगे। यही कारण है कि आप सभी के आत्मीय बन जाते हैं। वीरभद्र कार्कीढोली नेपाली साहित्य जगत के प्रतिष्ठित कवि, कहानीकार, अनुवादक और साहित्य-साधक हैं। आज वह राष्ट्रीय-अंतरराष्ट्रीय स्तर पर ख्याति प्राप्त हैं। भाषा के मर्मज्ञ विद्वान, कुशल अनुवादक, सुकवि और सफल संपादक तथा स्वतंत्र पत्रकार हैं। वीरभद्र जी से मेरा परिचय सन 2018 में प्रो. सुरेश सिंहल द्वारा संपादित ‘जीवनबोध में  कवि वीरभद्र कार्कीढोली’ पुस्तक के प्रकाशन के समय से है। यह पुस्तक प्रो. सिंहल जी ने मुझे समीक्षार्थ भेंट क...